लड्डू ......! भारत की काफी फेमस मिठाई ...लड्डू देखते ही लोगो के मुंह में पानी आ जाता है । मंगल वार को तो इसकी कीमत वैसे ही बढ़ जाती है क्योंकि इस दिन हनुमान जी को लड्डू का भोग लगाया जाता है ....लड्डू तो गणेश जी को भी बहुत पसंद है तभी तो उनके आगे लड्डू से भरी थाल ही रखी रहती है । कुल मिलाकर इसे नेशनल मिठाई कहने में कोई बुराई नही है ।
मैंने कई बच्चों के नाम भी इसी मिठाई पर रखे हुए देखे है । वैसे तो मुझे लड्डू खाना अच्छा लगता है ...पर इतना नहीं की इसमे डूबा ही रहूँ । इतना जरुर है की खा लेता हूँ ....पर कुछ दिनों से लड्डू शब्द मुझे बहुत अच्छा लगने लगा है .....लगता है ...इससे ज्यादा मिठास तो दुनिया के दुसरे किसी शब्द में नही हो सकता । पहले तो कभी ऐसा नही हुआ ....आजकल इसमे इतनी मिठास कहाँ से आ गई ?.....या लड्डू के प्रति मेरा नजरिया बदल गया ....कहीं कुछ हुआ तो नहीं .....कोई घटना तो नहीं घटी ...जिसकी वजह से लड्डू इतना प्यारा हो गया ....पता नहीं मुझे तो ऐसा कुछ याद नहीं है .....
पहले सोचता था कैसा नाम है ....लड्डू !ऐसा लगता था जैसे किसी बुद्धू आदमी की प्रतिमा लड्डू शब्द में छिपी हुई है ....साफ़ शब्दों में कहें तो लड्डू शब्द अनाड़ी का पर्याय लगता था । ....तो आज क्या हुआ ?...मेरे जिंदगी का सबसे कीमती पल ....और लड्डू की मिठास ने मुझे शायद बहुत ही कूल कर दिया । लड्डू का ही प्रताप है ...अब गुस्सा नही आता ....मुस्कराहट बढ़ गई है .....हर जगह मिठास ही दिख रही है ....क्या कहूँ? लड्डू ने तो मुझे बिल्कुल बदल दिया है । अब तो सपनो में भी ......
जब लड्डू शब्द सुनता हूँ तो ...सारे शरीर में सिहरन पैदा होती है ....एनर्जी दुगुनी हो जाती है ।
मन ही मन कहता हूँ .... मेरे लड्डू तू तो बदल गया रे .....लड्डू शब्द सुनने के लिए बेचैन रहता हूँ ....कास !मेरा नाम लड्डू ही होता । ऐसा लगता है ...मेरा मन लड्डू से ही जुड़ गया है ...इसकी मिठास हर जगह फैली हुई है ....अब यह मेरे लिए जिंदगी का मकसद बन गया है .... खाने वाला लड्डू तो सिर्फ़ प्रतीकात्मक है .....मेरा लड्डू तो मन की गहराइयों से निकला है ....उसे केवल महशुश ही किया जा सकता है ।
मेरे साथ कुछ अजीब हो रहा है ....लड्डू शब्द सुनना ही पहली प्राथमिकता बन गई है ......लड्डू को सुनते ही सारी बेचैनी ख़त्म हो जाती है ...मन को बहुत ही शुकून मिलता है ......ऐ मेरे लड्डू! सुनो ! जिंदगी में ऐसे ही मिठास भरते रहना ....
Wednesday, July 1, 2009
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5 comments:
वाह बहुत बढ़िया लिखा है आपने! मुझे तो लड्डू बहुत पसंद है और आपका पोस्ट पड़कर तो मुह में पानी आ गया! पर अब क्या करूँ ऑस्ट्रेलिया में तो लड्डू नहीं मिलते और अब इंडिया जाने तक इंतज़ार करना होगा !
jee babli ji thanks a lot....aapne mere laddu ko pasand kiya....
Badi hi swadist post hai is baar !
sandhya ji namskaar ...aapko yah post achchhi lagi....i am realy very happy...
... जब मन में 'लडडू' फूटने लगते हैं तब बात ही कुछ और होती है !!!!!!!
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