अरबों ने अंक पद्धति भार्वासियों से सिखा ।
मत्स्य पुराण में लिंग पूजा का उल्लेख मिलता है ।
कालिदास शिवोपासक थे ।
भारवि ने अपने महाकाव्य किरातार्जुनीय में अर्जुन और शिव के बिच युद्ध का वर्णन किया है ।
वाकातक शासक प्रवार्शें द्वितीय को सेतुबंध नामक कृति का रचयिता माना जाता है ।
कनिष्क के दरबार में पार्श्व ,वसुमित्र और अश्वघोष जैसे विद्वान् थे ।
मेगास्थनीज के अनुसार मौर्य काल में बिक्री कर नही देने वाले को मृत्यु दंड मिलता था ।
बौध धर्म के अनुसार महापरिनिर्वान मृत्यु के बाद ही संभव है ।
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3 comments:
pahli baar aayaa hoo, jaankariyo vala blog/ ye bhi ek achhi pahal he/ iske liye aapko dhnyavaad bhi doonga//
... हर बार ज्ञानवर्धक नई-नई जानकारी के लिये आपका बहुत-बहुत शुक्रिया ।
Badhiya sankalan prastut kiya hai aapne.
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