Wednesday, March 25, 2009

ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए प्रयास ...

तीसरी दुनिया के देशों के नेतृत्व करते हुए भारत ने जलवायु परिवर्तन पर निष्पक्ष और बराबरी आधारित बहुपक्षीय ढांचे की मांग की है जो विश्व के देशों को कार्बन मुक्त अर्थव्यवस्था की तरफ जल्द बढ़ने में मददगार होगा।

वाशिंगटन के प्रतिष्ठित 'थिंक टैंक' कारनेगी एंडाउमेंट फार इंटरनेशनल रिलेशंस की बैठक को संबोधित करते हुए जलवायु परिवर्तन पर प्रधानमंत्री के विशेष दूत श्याम सरन ने कहा कि भारत चाहेगा कि इस सिलसिले में अमेरिका नेतृत्व संभाले।

सरन ने कहा की हमें बहुपक्षीय ढांचा बनाने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है जो निष्पक्ष और बराबरी आधारित हो तथा हमें कार्बन मुक्त अर्थव्यवस्था से यथाशीघ्र बदलाव में मदद करे। उन्होंने कहा कि भारत उम्मीद करता है कि कोपनहेगन में 15वीं सीओपी में निष्पक्ष और बराबरी आधारित तथा महत्वाकांक्षी नतीजा निकलेगा जो यूएनएफसीसीसी और बाली कार्ययोजना के नतीजे पर आधारित होगा। उन्होंने कहा कि भारत इस उद्देश्य के लिए अमेरिका के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है। इससे ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ वैश्विक माहौल बनेगा ।

उन्होंने कांग्रेस सदस्य एड मर्की से मुलाकात की, जो उर्जा स्वावलंबन और ग्लोबल वार्मिंग पर चयन समिति के प्रमुख हैं। उल्लेखनीय है कि मर्की असैनिक परमाणु समझौते के प्रबल विरोधी रहे हैं जो दोनों देशों के बीच पिछले साल हुआ।भारत सभी को समझाने की कोशिश करेगा की यह नाभिकीय समझौता न तो किसी के खिलाफ है और न ही इससे उसके पर्यावरण कार्यक्रम पर असर पड़ेगा । इसके उलट तापीय ऊर्जा पर निर्भरता कम होने से गैसों के उत्सर्जन पर अंकुश लगाया जा सकेगा ।

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