भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन में गाँधी का आगमन एक नविन घटना के रूप में देखा जाता है । गांधीजी के सपनों के भारत में पृथ्वी पर एक ऐसे स्वर्ग की परिकल्पना है जहाँ कोई न किसी का गुलाम होगा और न ही किसी दुसरे पर निर्भर होगा ।
मेरे सपनों के भारत में इस आशय को प्रकट करते हुए वो लिखते भी है ......
'' मै ऐसे भारत के लिए कोशिश करूँगा जिसमे उच्च और निम्न वर्गों का भेद नही होगा । ऐसे भारत में अस्पृश्यता का कोई अस्तित्व नही होगा । शराब और दूसरी नशीली चीजों के अभिशाप के लिए कोई स्थान नही होगा ...... उसमे महिलाओं को वही अधिकार होगे जो पुरुषों को होगे । न तो हम किसी का शोषण करेगे और न ही अपना शोषण होने देगे ।
Sunday, March 15, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment